Anju Dixit

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जब तुम लगा लेती बिंदिया

गजब का नूर बरसता है,
जब तुम बिंदिया लगा लेते हो,
यूँ लगता है देखकर,
एक चाँद पर दूसरा चाँद सजा लेते हो।

   कितनी भी व्यस्तता हो,
  जब तेरा सामने पड़ता है,
गजब करते हो मेरे होश उड़ा देते हो।

यूँ तो सादगी से भरे तुम,
कहाँ किसी सैलाब से कम,
सुर्ख बिंदिया लगाकर तो कहर ढा देते हो।

जब हल्के से नजर उठाते हो,
तुम और भी मासूम हो जाते हो,
बड़े काफिर तुम उस वक्त हो जाते हो,

तिरछे करके होंठ जो मुस्कुरा देते हो।
चाँद को बहुत गुरुर है अपने अक्स से,
मैं कहता मिल जमी पर जाकर मेरे महबूब से,
तेरे जैसा चाँद तो उसके माथे पे लगा है,
जब देखते हो तो चाँद को चाँद दिखा देते हो।


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6 Comments

Deepak Dangaich

25-Oct-2021 11:25 PM

Nice

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Niraj Pandey

23-Oct-2021 09:57 AM

वाह लाजवाब

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बेहद ही खूबसूरत रचना 👌👌

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