जब तुम लगा लेती बिंदिया
गजब का नूर बरसता है,
जब तुम बिंदिया लगा लेते हो,
यूँ लगता है देखकर,
एक चाँद पर दूसरा चाँद सजा लेते हो।
कितनी भी व्यस्तता हो,
जब तेरा सामने पड़ता है,
गजब करते हो मेरे होश उड़ा देते हो।
यूँ तो सादगी से भरे तुम,
कहाँ किसी सैलाब से कम,
सुर्ख बिंदिया लगाकर तो कहर ढा देते हो।
जब हल्के से नजर उठाते हो,
तुम और भी मासूम हो जाते हो,
बड़े काफिर तुम उस वक्त हो जाते हो,
तिरछे करके होंठ जो मुस्कुरा देते हो।
चाँद को बहुत गुरुर है अपने अक्स से,
मैं कहता मिल जमी पर जाकर मेरे महबूब से,
तेरे जैसा चाँद तो उसके माथे पे लगा है,
जब देखते हो तो चाँद को चाँद दिखा देते हो।
Deepak Dangaich
25-Oct-2021 11:25 PM
Nice
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Niraj Pandey
23-Oct-2021 09:57 AM
वाह लाजवाब
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ऋषभ दिव्येन्द्र
22-Oct-2021 08:31 PM
बेहद ही खूबसूरत रचना 👌👌
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